संपूर्ण देश में ख़रीब की फसल की बुआई शुरू हो चुकी हैं और ऐसे में किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बारिश ना होने पर फसल नुक़सान होने का होता हैं। इसके समाधान के लिए केंद्र तथा राज्य सरकार मिलकर एक योजना लेकर आयी हैं जिसके माध्यम से किसानों को अपने खेत में वाटर पौंड बनाने के लिए 90% तक सब्सिडी प्रदान की जा रही हैं। Water Pond Subsidy Yojana का लाभ कैसे लिया जाता हैं इसकी जानकारी आज हम इस लेख के माध्यम से देने जा रहे हैं।
वाटर पौंड क्या होता हैं
वाटर पौंड किसी खेत में बनाया जाने वाला कृत्रिम तालाब होता हैं जिसका आकार चौकोर रखा जाता हैं। इस कृत्रिम तालाब का निर्माण बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए किया जाता हैं। यह आकार में बड़ा होता हैं तथा इसमें जमा किया गया पानी एक पूरी फसल के लिए पर्याप्त होता हैं।
वाटर पौंड का निर्माण मुख्यतः उन इलाक़ों में किया जाता हैं जहां किसान खेती के लिए मुख्य रूप से बारिश के पानी पर ही निर्भर रहता हैं। देश के राजस्थान, हरियाणा, गुजरात आदि उत्तर पश्चिमी राज्यों में वाटर पौंड अधिक देखने को मिलते हैं। अभी सरकार ने किसानों को वाटर पौंड बनवाने के लिए सब्सिडी देने का प्रावधान किया हैं। Water Pond Subsidy Yojana के तहत कितनी सब्सिडी दी जाती हैं इसकी जानकारी नीचे टेबल के माध्यम से बताई जा रहीं हैं।
वाटर पौंड के लिए सब्सिडी
कृषक का प्रकार | कच्चे फ़ार्म पौंड पर सब्सिडी प्रतिशत (अधिकतम देय राशि) | पक्के फ़ार्म पौंड पर सब्सिडी प्रतिशत (अधिकतम देय राशि) |
लघु तथा सीमांत किसान | 70% (73,500) | 90% (1,35,000) |
अन्य किसान | 60% (63,000) | 80% (1,20,000) |
सीमांत किसान क्या होता हैं?
ऐसे किसान जिनके पास एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) से कम भूमि होती हैं उन्हें सीमांत किसान की श्रेणी में रखा जाता हैं। ऐसे किसान सामान्यतः व्यावसायिक खेती नहीं करते हैं। खेती के लिए इनका उद्देश्य केवल व्यक्तिगत तथा पारिवारिक ज़रूरतों को पूर्ण करना ही होता हैं।
वाटर पौंड सब्सिडी योजना में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन आवेदन करने के लिए समान दस्तावेज़ों की ही आवश्यकता पड़ती हैं। इन सभी दस्तावेज़ो के बारे में नीचे बताया गया हैं।
वाटर पौंड के लिए ज़रूरी डॉक्युमेंट्स
- किसान की पहचान से संबंधित दस्तावेज जैसे- आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल या स्थाई निवास प्रमाण, जाति प्रमाण, बैंक खाता डायरी आदि।
- किसान के खेत की जमाबंदी
- कृषि भूमि का नक़्शा
- कृषि भूमि में से संबंधित सभी जानकारी जैसे कुआँ, नलकूप आदि की जानकारी
- बनाये गये वाटर पौंड की जानकारी- लंबाई चौड़ाई, गहराई, प्लास्टिक शीट की जानकारी आदि
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केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही Water Pond Subsidy Yojana के अन्तर्गत अपने खेत में वाटर पौंड बनवाने के लिए निन्म किसानों को पात्र माना गया हैं। इसी प्रकार की अन्य लाभकारी योजनाओं के लिए हमारे व्हाट्सप्प चैनल को देखें।
वाटर पौंड सब्सिडी के लिए पात्रता
- इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कम से कम 0.3 हेक्टेयर कृषि भूमि होना आवश्यक हैं।
- लीज़/ किराए पर ली गई भूमि के लिये न्यूनतम 7 वर्ष की हिस्सेदारी होनी चाहिए
- ऐसे किसान जो किसी सरकारी पद पर कार्यरत हैं तथा आयकर देते हैं वे इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र नहीं हैं।
- किसान केवल अपनी स्वयं के खेत में ही वाटर पौंड का निर्माण करवा सकता हैं।
- किसी अन्य की ज़मीन पर पौंड बनवाने पर इस योजना में मिलने वाली सब्सिडी प्रदान नहीं की जाएगी।
- किसी भी विद्यालय, महाविद्यालय, ट्रस्ट, मंदिर आदि को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
वाटर पौंड के लिए आवेदन करने की ऑफलाइन प्रक्रिया
अपने खेत में वाटर पौंड बनवाने के लिए आप ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों तरह से आवेदन कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन करने के लिए किसान को अपने नज़दीकी किसान सेवा केंद्र या कृषि विभाग कार्यालय में जाकर इस योजना में आवेदन करना होता हैं। इसके लिए कार्यालय से वाटर पौंड सब्सिडी योजना का आवेदन पत्र भरकर देना होता हैं साथ ही इसमें लगने वाले सभी दस्तावेज़ो की फ़ोटोकॉपी संलग्न करनी होती हैं।
इसके बाद विभाग द्वारा आपके खेत तथा वाटर पौंड की भौतिक जाँच की जाती हैं। वाटर पौंड के लिए सरकार द्वारा बनाये गये सभी मानदंडों के अनुसार पौंड बनाये जाने पर योजना के अन्तर्गत दी जाने वाली सब्सिडी किसान के बैंक खाते में भेज दी जाती हैं।
वाटर पौंड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया
वाटर पौंड बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने हेतु किसान को अपने नज़दीकी ई मित्र सेवा केंद्र पर जाना होगा। इसके बाद सेवा केंद्र से Water Pond Subsidy Yojana में ऑनलाइन आवेदन करवाना होगा। ऑफ़िलाइन प्रक्रिया के जैसे ही इसमें भी सरकारी अधिकारी द्वारा आपकी भीमी तथा बनवाये गये वाटर पौंड की भौतिक जाँच की जाएगी जिसके बाद सब्सिडी का पैसा आपके बैंक खाते में DBT के माध्यम से भेज दिया जाएगा।
वाटर पौंड योजना किसानों के लिए एक कल्याणकारी योजना हैं। इसके लिए किसान को पहले खुदके खर्चे पर पौंड बनवाना होता हैं उसके बाद सरकार द्वारा उसपर योजना के नियमों के अनुसार सब्सिडी प्रदान की जाती हैं।
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